सफलता1
हर व्यक्ति अपने जीवन में असीमित सफलता की कामना रखता है। हर व्यक्ति की सफलता की परिभाषा अलग अलग होती है और यह व्यक्ति दर व्यक्ति देश काल और परिस्थिति के अनुसार परिवर्तित होती रहती है। सफलता के और बढते व्यक्ति को सिर्फ दूर स्थित शिखर ही दिखाई पड़ता है और शिखर की और बढते कदम को गति और लय सकारात्मक सोच ही देती है।और उम्मीद आशए उत्साह देती है जिसका परिणाम सुखद ही होता है। अक्सर सफलता का पहला कदम असफलता से शुरू होता है। असफलता क्या है??? यही न कि हम अपने सर्वोतम प्रयास बाद भी उस काम का श्रेष्ठ फल प्राप्त नहीं कर पाये पर मैरा मानना है कि असफलता कभी भी स्वीकार्य नही होनी चाहिए,और फिर से सर्वोत्तम के लिए कोशिश होनी चाहिए मतलब कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है। मित्रों यकीन मानिए सफलता की संभावना तभी होगी जब आप अपनी गलतियों पर अफसोस करना छोड़ देंगे पर उनसे सीख लेना जारी रखेंगे। एक बात और है सफलता प्राप्त करने की राह में असुरक्षा का अहसास बनाए रखना चाहिए क्योंकि मैरा मानना है कि अगर आप में यह अहसास नहीं है तो आप मैं नये रास्ते खोजने के और उन पर चलने की लालसा समाप्त हो जायेगी जो कि सफलता में बाधक है। बदलाव ही सफलता लाता है तो जरूरत है प्रतिदिन प्रति क्षण कुछ नया सोचने की नया करने की अर्थात आपके जीवन में प्रतिदिन कुछ नया होना चाहिए। कुछ नया सोचने के लिए जरूरी नहीं है कि परिवर्तन बड़े पैमाने पर हो। छोटे छोटे प्रयास भी करिश्माई होतें हैं। परिवर्तन करने के लिए आपको रचनात्मक होना पड़ता है और रचनात्मकता जब आती है जब आप ऐसा कुछ करते हैं जो सामान्यतः लोगों की कल्पना में भी नहीं होता। मतलब सामान्य लोगों की कल्पना से परे जाकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करें और डर और भ्रम की अवस्था से निकल कर असंभव को संभव में परिवर्तित करे। मतलब आप धनुष तानते हैं तो सबसे मजबूत धनुष ताने और अगर आप तीर का उपयोग करते हैं तो सबसे लंबे तीर का प्रयोग करें। हम उत्साह से ज्यादा सफल होते हैं ना कि टेलेंट से क्योंकि व्यक्ति अगर योग्य है पर जोश का अभाव है तो भी सफलता दूर है।
मेरा मानना है कि जीवन की श्रेष्ठा का लक्ष्य सिर्फ हार जीत या सफलता या असफलता से तय नहीं होता, बल्कि वतमान में जीवन की श्रेष्ठता या प्रतिष्ठा इस बात पर निर्भर नहीं करती हैं कि क्या दिखता है, जितनी इस बात पर निर्भर करती है कि क्या छिपाया गया।
प्रियदर्शिनी अग्निहोत्री
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