स्वयं के लिए सदैव उत्कृष्ट तथा स्पष्ट विचारधारा से सोचिए। ना जाने क्यों अधिकतर अवसरों पर हम खुद के बारे में बड़ा सोचने से घबराते है और ज्यादातर मौकों पर हम खुद ही अपने आपको पीछे की ओर धकेलते हैं तथा स्वयं ही अपने द्वारा देखे गए बड़े सपनों की मज़ाक बनाने लगते हैं।
किन्तु अकाट्य सत्य तो यहीं है कि जब तक आप स्वयं अपना मूल्यांकन सही प्रकार से नहीं कर पाते है तो भला यथार्थ में दूसरा उसे कैसे जान पायेगा!!
बड़े-बड़े सपने देखिए और उन पर भरोसा बनाये रखते हुए, स्वयं के सामर्थ्य पर भी अटल विश्वास रखिये एंवम खुद को कमज़ोर मानते हुए, दूसरों के द्वारा किये गए उपहास का हिस्सा कभी भी ना बने।
ईश्वर से हमें विलक्षण प्रतिभावान बनाया है। जिसमें विवेक एंवम बाहुबल के साथ-साथ संयम, सहयोग और जीवटता के मानवीय गुण भी प्रदान किये है। इन सभी को प्रयोग में लाते हुए, ना केवल हम मनवांछित फल ही प्राप्त करते है, वरन सबके प्रिय बनते हुए, हमें अनमोल आत्मिक संतोष की प्राप्ति भी होती है।
डॉ प्रियदर्शिनी अग्निहोत्री
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