शिक्षक दिवस पर सभी पूज्यनीय गुरु का कोटि कोटि वंदन करती हूँ।
शिक्षक दिवस डॉ राधा कृष्णन को समर्पित दिन। ये एक महान दार्शनिक, शिक्षक जो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के माध्यम से देश के सर्वोच्च पद पर आसीन हुए। एक शिक्षक का इससे बड़ा सम्मान नहीं हो सकता। वर्तमान में समाज से सम्मान शिक्षक को मिलता चला जाए, शिक्षक योग्य होता चला जाए और लोकतंत्र इतना समझदार होता चला जाए तो विकास में समय नहीं लगेगा।
एक इंजीनियर की की गलती किसी नींव में दब सकती है, एक डॉक्टर की गलती किसी क्रब में दफन हो सकती हैं, और एक वकील की गलती किसी फाइल के नीचे दब सकती है, परंतु एक शिक्षक की गलती सम्पूर्ण राष्ट्र में झलकती है। शिक्षक चिन्तनशील हो, उसके चिन्तन में मौलिकता हो, वह शिक्षा की समस्याओं के प्रति जागरूक हो एवं संवेदनशील हो तथा इन समस्याओं के हल ढूंढने रूचि रखता हो तो इससे अधिक सुखद स्थिति और क्या हो सकती है। शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए यह भी आवश्यक है कि शिक्षक अपने व्यवसाय के प्रति प्रतिबद्ध हो, उसे अपने व्यवसाय से लगाव हो उस पर गर्व हो। शिक्षण में कार्यरत व्यक्तियो से समाज की कुछ अपेक्षाएँ हैं। शिक्षक यदि इन अपेक्षाओं को समझ कर उनका पालन करता है तो शिक्षण व्यवसाय एवं शिक्षकों की समाज में गरिमा एवं प्रतिष्ठा बढ़ेगी और इसके अच्छे परिणाम सामने आएंगे।
वह व्यक्ति जो सिर्फ जानकारी देता है उसे अध्यापक कहते हैं और जो उसमें ज्ञान भी जोड़ दें उसे उपाध्याय कहते हैं और जो कौशल भी दे उसे आचार्य कहते हैं और जो गहरी समझ प्रदान करें उसे पंडित कहते है , और जो व्यक्ति विवेक या बुद्धिमत्ता दे उसे गुरु कहा जाता है और अगर हम वर्तमान परिदृश्य की बात करें तो इन पांचों के लिए सिर्फ अंग्रेजी का एक ही शब्द प्रयोग करते हैं टीचर। व्यक्ति के पदनाम कुछ भी हो लेकिन हम उनसे जानकारी और ज्ञान की उम्मीद करते हैं । गुरु को सर्वोच्च मानते हुए मैं समझती हूं कि कोविड ने हर टीचर को गुरु बनने का अवसर दिया है क्योंकि वर्तमान परिदृश्य में ऑनलाइन शिक्षा हमारे घरों में डाइनिंग टेबल से लेकर बेडरूम तक में प्रवेश कर चुकी है मध्यम वर्गीय परिवार से हम यह अपेक्षा नहीं कर सकते कि वह व्यवस्थित रूप से अपने बच्चे को पढ़ने की स्पेस दे क्योंकि इसके लिए बहुत सारे फैक्टर हैं कभी नेटवर्क की समस्या कभी घर में जगह की समस्या और परिवार के अन्य सदस्यों की समस्या मतलब हर घर में चुनौतियां है ।ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से शिक्षक अपने छात्रों की दिन प्रतिदिन की समस्या को देख सकता है समझ सकता है और अपने छात्र के साथ आत्मीयता के साथ विवेक और बुद्धिमता से उसे सुलझा सकता है तो मेरा मानना है कि प्रत्येक शिक्षक के पास अवसर है गुरु बनने का ।
वर्तमान में दो तरह की शिक्षा है---एक पेट भरने के लिए education for occupation जो शिक्षक देता है। दूसरी है ----education for life ---- जीवन की शिक्षा जो गुरु देता है। दोनों के बिना मानव अधूरा है। शिक्षक सांसरिक है जो संसार का ज्ञान देता है और गुरु आध्यात्मिक ज्ञान देता है। यह दोनों समाज के दर्पण है।
अस्तित्व के लिए परिवर्तन आवश्यक है, परिवर्तन के लिए परिपक्वता और परिपक्वता के लिए अंतहीन सृजनात्मकता अनिवार्य है। मैं अपने सभी शिक्षकों, साहित्यकारो और नवांगतुको से अनुरोध करती हूँ कि वे अपने स्वाध्याय, चिन्तन एवम् सृजन की लौ को जलाएं रखें। शिक्षा और साहित्य से जुड़ना जीवन से जुड़ना है, अच्छे मानवीय मूल्यों की प्रतिष्ठा करना और समाज को दिशा देना है।
आइए शिक्षक दिवस के इस पावन अवसर पर यह संकल्प लें कि हम शिक्षक भारतीय शिक्षा को पुरानी परंपरा से जोडते हुए नया रूप देंगें, ऐसी शिक्षा पध्दति के विकास में जुट जाऐगे जिसमें एक शिक्षित समाज की स्थापना हो, जिसमें शिक्षक का एक गौरवमय एवं सम्मानित स्थान हो, जिसमें शिक्षक -छात्र, शिक्षक -अभिभावक संबंध मधुर, परस्पर आदर एवं विश्वासपूर्ण हो।
डॉ प्रियदर्शिनी अग्निहोत्री
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