Sunday, July 19, 2020

उत्कृष्टता, एक ऐसा युद्ध है...

एक विचार ............

उत्कृष्टता, एक ऐसा युद्ध है...
जो इंसान दूसरों के साथ नहीं, बल्कि स्वयं के साथ ही लड़ता है !!''व्यक्ति' क्या है ?यह कभी महत्वपूर्ण नहीं होना चाहिए !!
व्यक्ति में 'क्या' है ?यह हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण तथ्य है !!! बोलने और लिखने से नहीं,सच और झूठ की पहचान तो व्यक्ति के आचरण तथा उसकी कार्यशैली से होती हैं !!
सहजता ही हमारी सबसे बड़ी सभ्यता है ।जो शिष्ट नहीं है वह कभी विशिष्ट नहीं बन सकता है ।विचार तो करके देखिए ......अपने इर्द गिर्द भेड़ो के झुंड सी भीड़ की चाह और झूठी प्रशंसा की भूख तो सदा से ही अयोग्यता की परिचायक रही है .......काबिलियत की तारीफ तो विरोधियों के दिल से भी निकलती हैं ।एक बात और कहना जरूरी है " स्वयं को बदलना ही कितना कठिन होता है, तो फिर आपके द्वारा दूसरों को बदलना भला कैसे सरल हो सकता है .....बहरहाल बात उत्कृष्टता की है तो कहा जा सकता कि आपमें विवेक होना भी आवश्यकता है ...................मुझे लगता है कि मेरे पास जो थोड़ा बहुत भी विवेक है उसे मैंने अपने सामर्थ्य के साथ जोडते हुए ईमानदारी से अपनी योग्यता अनुसार कठोर परिश्रम किया है ............किंतु  सर्वश्रेष्ठ परिणाम आज तक अपेक्षित है ।
इस बात पर जरूर विचार कीजिएगा ......आपके सही हो जाने से जरूरी नहीं है कि सामने वाला व्यक्ति गलत हो.....देश काल परिस्थितियों पर निर्भर करता है सही या गलत होना........

डॉ प्रियदर्शिनी अग्निहोत्री

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