Sunday, July 19, 2020

मेरी स्मृतियों के भवन बहुत सारे हैं ..............

बाबुल सुनो ना मेरी बातें 

 मेरी स्मृतियों के भवन 
बहुत सारे हैं ..............

मेरी स्मृतियों ने आज
द्ववार बाबुल के खोले
बाबुल मोरे मन में
बीती बातें ही फिरती
और न जाने कितनी 
मधुर स्मृतियाँ ही घिरती
याद आए मुझे वो मेरा बचपन
मेरी जिद के आगे उनके साधन
मेरा रूठना, उनका मानना
और फिर मेरा इठलाना
कैसे भूलू बचपन की वो बतिया
कैसे भूलू बचपन की वो सखियाँ
मिट्टी के वो खेल खिलौने
वो सावन के लहराते झूले
याद आता है मुझे अपना वो गाँव
नहीं भूलती बरगद की छांव
मेरे नयनों में तो सजते
वही रिश्तों के रंग बिरंगे मेले
बाबुल के आंगन में मिल कर जो खेलें
कितना अनुराग भरा है उनमें
नहीं समाता मेरे इस मन में
बाबुल मेरी स्मृतियों के बादल में
इंद्रधनुष बन मुस्काता
और प्रतिपल स्नेह किरण बरसाता
बाबुल याद बहुत आती वो बातें
वही मेरे जीवन की सौगातें
जाने इन स्मृतियों से
कब भर आए नयन
अपलक नयन के मधुबन में
अबकी सावन आंसू की बारिश है
आँसू की ही बारिश है।।।

डॉ प्रियदर्शिनी अग्निहोत्री 



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