सब अच्छा हो जाएगा
तुम्हें गले लगा कर
तुम्हारी ही शिकायत
करने को जी चाहता
उलझन क्या बताऊँ
तुम्हें अपने मन की
मन के उलझे धागों की
कुछअनकही अनसुनी
दास्ताँसुलझती है
सिर्फ तुमसे ही
एक माला में गुथें तुम हम
हम बिखरे तो
बिखर तुम जाओगे
मैं हूँ आँसू तेरे नयनों का
जब जी चाहें देना बहा
एक शब्द हूँ तुम्हारी कहानी का
न याद रखो तो देना भुला
पर तुमसे बच कर जाऊँ कहाँ
मेरी यादों की दहलीज पर
तेरी नजरों का पहरा घना
सौदा कुछ ऐसा
तेरे सपने मेरी निदिंया में
सिर्फ तुम ही सपनों में आओगे
मेरी मुश्किलों में
सबसे बड़ासहारा
बन के छा जाओगे
मुस्कुरा कर धीरे से
मेरे कानों में कहोगे
सब ठीक हो जाएगा
सब अच्छा हो जाएगा।।
डाॅ प्रियदर्शिनी अग्निहोत्री
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