यही सच है .......
सिर्फ सकारात्मक या आशावादी होना ही, यह आश्वस्त नहीं करता कि आप सदैव सफलता प्राप्त करेंगे । आशातीत सफलता प्राप्त करने हेतु, सुविचारों के साथ विवेकाधीन रहते हुए, आपको निरन्तर कठोर परिश्रम भी करना होता है ।
किसी भी गलत व्यक्ति का चयन, हमारे जीवन को प्रभावित करे या न करे; किन्तु यह सार्वभौमिक सत्य है कि एक सही व्यक्ति की उपेक्षा, हमें जीवन भर पछताने पर मज़बूर कर देती है ।
गलत व्यक्ति की बुराई को नज़रअंदाज़ करना या ना करना, सम्पूर्णतया हमारे विवेक पर निर्भर है, किन्तु सही व्यक्ति तो अपने सद्गुणों तथा कार्यनीति से सदैव स्वयं तथा सभी साथियों के जीवन को बेहतर बनाने की ओर अग्रसर रहता है ।
इसे मैं अपना अनुभव ही कहूँगी जो कि मुझे लगता है कि सभी के साथ बाँटना चाहिए। हो सकता है कि आप मुझसे सहमत न हों पर फिर भी..... मेरा मानना है कि हर जगह योग्यता चयनित नहीं होती है विशेषकर तब जब आपका चुनाव करने वाला आपकी योग्यता से असुरक्षित महसूस करता है। मानती हूँ हर व्यक्ति में असुरक्षा की भावना होती है। पर अगर आप सफलता पाना चाहते हैं तो यह मान लें कि अपने से ऊपर के अधिकारी से श्रेष्ठता दिखाना आपकी सफलता में बाधक हो सकता है। आप यह कभी भी मत समझिए कि आप अपनी योग्यता का प्रदर्शन कर श्रेष्ठता या ऊचाँ पद प्राप्त करेंगे। किसी भी तरह की श्रेष्ठता वर्तमान परिदृश्य में लोगों को पंसद नहीं आती। मेरा तो यही मानना है कि अगर आप सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो ईमानदारी से ईमानदारी को एक तरफ रख दें और अपनी श्रेष्ठता को छुपाने की कला सीखे। इसमें बहुत ही धैर्य और विनम्रता की आवश्यकता होती है और जब एक बार आप इसमें कुशलता पा लेते हैं तो आप दुनिया से अपनी शर्तों पर मुल्यांकन करवाते हैं और यही वह स्थिति है जो आज के परिदृश्य में सवोतम है। मतलब आपको वो बादल नही बनना है जो सूर्य रूपी बास की चमक को रोके, बल्कि उन तारों से सीखना है कि भले ही वे सूर्य जितने चमकदार हो पर उनहें सूर्य के आभामंडल में ही रहना है और अपनी चमक को सूर्य से अधिक नहीं करना है।
तो सफलता योग्यता को दिखाने से नहीं बल्कि छुपाने से मिलती है।
किन्तु हमेशा से ही आशावादी दृष्टिकोण रहा है मेरा इसलिए यही मानना है कि योग्यता उपेक्षित नहीं हो सकतीं है ।
डाॅ प्रियदर्शिनी अग्निहोत्री
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