जीवन के सफर में कुछ साथियों और स्वजनों का साथ छूट जाता है परंतु सफर की हर मुलाकात अपने अनुभव से जीवन को समृद्ध करती है। जीवन में मिलन से अधिक सबक विरह सिखाता है। इस लिए मुझे लगता है कि जीवन की हर यात्रा में स्वंय को खोजना ही मूल उद्देश्य होता है.....
और होना भी यही चाहिए।
और इसके लिए जीवन जीने के लिए जुनून और दीवानगी होना चाहिए,भरोसा होना चाहिए। यही भरोसा हमें आगे बढाता है और जो जिंदगी ने जो कुछ उपहार हमें दिए उनका उपयोग करना सिखाता है। जब हम अपना समर्पण दुसरो की सहायता के लिए समर्पित कर देते हैं तो मुझे लगता है कि जीवन में कुछ सकारात्मक परिणाम अपने आप होने लगते हैं। समस्या सुलझने लगती है। हमें यह याद रखना बहुत जरूरी है कि हम कौन है, कहाँ से आए हैं और जीवन में कहाँ जाना है।
सिर्फ इतनी सी बात है अपने आप पर विश्वास रखिए और स्वयं को जानिए।यही तो जीवन है।
इसलिए मैंने अपने जीवन के हर संघर्ष को उत्सव में बदल दिया और मैं अब अपने जीवन संघर्षों का उत्सव रोज मनाती हूँ। इसलिए ......
लाजिम लहर के साथ है तब खेलना
जब हो समुन्दर पर नशा तूफान का
जिस हवा का दीपक बुझाना ध्येय हो
उस हवा में दीपक जलाना धर्म है .मेरा...........
डॉ प्रियदर्शिनी अग्निहोत्री
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