Tuesday, June 02, 2020

raat ki kalpana may

रात की कल्पना में
दिवस प्रतिरूप अंधकार होता
प्यार बिना जीवन
अमावस रात ही होता
प्रियतम की यादों में
अश्रु तारों को झडते देखा 
हर याद की याद के बाद
बहुत कुछ बाकी रह जाने की
पीड़ा को सहते देखा
प्यार में अभिमान की कसक लिए
प्रश्न उपस्थित नित्य देखे
प्यार और घृणा के नियम
कोई नहीं जानता
क्या उचित क्या अनुचित
क्या मान क्या मर्यादा
कोई नहीं मानता
प्यार बिन जीवन में शेष क्या
प्यार बिन जीवन में विशेष क्या
व्यर्थ सारा प्यार अनुमान
सोच नहीं पाती थका ज्ञान है
प्यार बिन जीवन निरर्थक अनुभूति
प्यार बिन जीवन निरर्थक अनुभूति।।

Dr priyadarshini agnihotri

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