रात की कल्पना में
दिवस प्रतिरूप अंधकार होता
प्यार बिना जीवन
अमावस रात ही होता
प्रियतम की यादों में
अश्रु तारों को झडते देखा
हर याद की याद के बाद
बहुत कुछ बाकी रह जाने की
पीड़ा को सहते देखा
प्यार में अभिमान की कसक लिए
प्रश्न उपस्थित नित्य देखे
प्यार और घृणा के नियम
कोई नहीं जानता
क्या उचित क्या अनुचित
क्या मान क्या मर्यादा
कोई नहीं मानता
प्यार बिन जीवन में शेष क्या
प्यार बिन जीवन में विशेष क्या
व्यर्थ सारा प्यार अनुमान
सोच नहीं पाती थका ज्ञान है
प्यार बिन जीवन निरर्थक अनुभूति
प्यार बिन जीवन निरर्थक अनुभूति।।
Dr priyadarshini agnihotri
Tuesday, June 02, 2020
raat ki kalpana may
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