सत्य, अहिंसा, प्रेम
कायर के हथियार
काल बना वीर का
जीवन श्रृंगार
जो अस्त्र परदुख के
अश्रु लेकर मचलता
उसमें अजेय बल होता
न्याय युद्ध जो शस्त्र करें
उसे भावनाओं का बल मिले
जिस आयुध में शक्ति विजय की
उसमें जनहित बल होता
किन्तु रक्षा मुक्ति हेतु
गांडीव टंकार जरूरी होती
तभी जय पर जय होती
राजप्रसाद का सुख भोगे खादी
जनता भोगे दुख त्रासदी
बिकता है ईमान देश में
सुख के अभिशापो सेे
सहने की सीमा लाँघो
मर्यादाएं न अपनी बाँधो
अधिकारों की भीख न माँगो
जहाँ न्याय पर चलती तलवारें
उन तंत्रों का गर्व मिटा डालो
हिंसक लोगों को हिंसा का ही
पहला सबक सिखला दो
मिट जाए जाति पाँति का बंधन
मिट जाए राज्यों का सीमा बंधन
इतिहास बदल दो सीमाओं का
एक तिरंगा फहरा दो
जिससे खिलते कमल देश के
वो वीर भला कब चुप होता है
पांचजन्य उदधोष करें
वन्देमातरम। महामंत्र बने
महामंत्र बने महामंत्र बने।।
Dr Priyadarshini Agnihotri
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