हम ना जाने किस जहाँ मे खो गए.........
अबकी बिछड़े तो फिर न मिलेंगें
अब संग मुस्कुराने के लिए
फिर कभी न हम मिलेंगे
अब तो हम यादों में रहेंगे
और सपनों में ही मिलेगे
अब सहेज लो मधुर यादों को
बिखर गई जो वक्त की लहरों पर
हमारी साँझे की अनगिनत यादें
हमारी साँझे की अनगिनत यादें।।
डाॅ प्रियदर्शिनी अग्निहोत्री
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