Thursday, June 04, 2020

आशा

आशा

कितनी सुंदर मेरी आशा 
जीने की राह दिखाती 
तन मन हार जाता किन्तु 
जीने की चाह जगाती 
नयनों में सजाती 
सपनों का अनुपम संसार 
मन को देती सौरभी विश्वास 
हार अक्सर ही होती 
जीत विरल ही मिलती 
पर मेरी आशा मुझसे कहती 
अपनी हार का उत्सव मनाओ 
जीत के पल भी आ जाएगें 
मेरी आशा मुझसे कहती 
तुझे जागरण करना होगा 
रात की कालिमा मिटाने को 
तुझे जलना ही होगा 
नया प्रभात लाने को 
मुरझाऐ है अगर आस के फूल तो 
कल नये फिर खिल जायेगें 
रखो मन में कर्म का विश्वास 
सफलता के बाग फिर मुस्कुराएगें।

डॉ प्रियदर्शिनी अग्निहोत्री

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