मत नयन खोलो प्रिया ध्यान बन कर मैं तो चढ़ता ही रहूंगातेरे साथ साथ चलने कोजन्म बहुत है बाकीतुम जो वचन हरो तोमैं सौ सौ जन्म प्रतीक्षा कर लू ।।डाॅ प्रियदर्शिनी अग्निहोत्री
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