तुम कल भी आस पास थी...........तुम आज भी करीब हो.....................
घर का शोर शराबा
सूनापन तन्हाई अम्मा
धूप हुई तो आचंल बनकर
कोने कोने छाई अम्मा
धरती अम्बर आग हवा जल
जैसी ही सच्चाई अम्मा
सारे रिश्ते जेठ दोपहरी
गर्म हवा आतिश अंगारे
झरना दरिया झील समुन्दर
भीनी सी पुरवाई अम्मा
घर में झीने रिश्ते मैंने
लाखों बार उधडते देखें
चुपके चुपके कर देती थी
जाने कब तुरपाई अम्मा ।।
आभार
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