रिश्तों के सेतु कच्चे धागों से
सँभल संभल कर चलना होगा
रिश्तों के बदरंग धागों को
नये रंग मे रंगना होगा
अब आगे है कितना शेष
तेरे साथ चलने को
जन्म बहुत है बाकी
खामोशिया कहने को
मैं रहूँ तब भी
मैं ना रहूँ तब भी
मेरे होने का अहसास
रहेगा सदा वहाँ
तुम्हारे अन्तर्मन का कोना
जो मेरा है हमेशा से।
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