अपने सूने आंगन में.........तुम नयन में अश्रु बनकरअग्नि पथ से हो छलकतीमौन मन की यामिनी मेंदीप सी धूमिल झलकतीमैं स्वयं ही एक पथ हूँऔर तुम आशा चरण होतुम अनल का एक कण हो ।।
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