Thursday, June 04, 2020

रागिनी

तुम अनल का एक कण हो 
तुम नयन का एक भ्रम हो 
तुम नयन में आँसू बन 
मौन मन की यामिनी में 
स्वर की नयी रागिनी हो।।

डा प्रियदर्शिनी अग्निहोत्री

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