जिन्दगी धूप तुम घना साया.........गैर की गैैरतो का गिला क्या करें साथ चलती नहीं खुद की परछाइयाँ ना सिर के ऊपर छांह किसी कीना सोने को बांह किसी कीतकिया है बांहों का अपनी हमको तो बस हिचकियाँ सताती।।डाॅ प्रियदर्शिनी अग्निहोत्री
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