जीवन है इसलिए की
हमको तुमसे प्यार है
मौसम ना जाने कितने
आएँगे जाएंगे
खुशबू से महकते
ख्यालो में तुम
ख्बावो में तुमको पाकर
बेइतहां हम मुस्कुराऐगे
तुम बेहतर समझते
मजबूरियो को मेरी
मीलो फासले की दूरी को
फिर भी
मुझे याद करता है कोई
मेरी हिचकियां बताती रोज ।।
डा प्रियदर्शिनी अग्निहोत्री
No comments:
Post a Comment