दुनिया के बनावटी दस्तूर भाते नहीं मैं सदा ही मुस्कुराना चाहती हूँ होशियारी का हुनर सीखा नहीं कुछ ना पाना अब सब गॅवाना चाहती हूँ .........
No comments:
Post a Comment