आओ प्रिया मन के आँगन मे
मै जीवन श्रृंगार करूँगा
तारों से झिलमिल रातों मे
अनुराग दीप सजाऊँगा
मेरे तन की एक सांस ही
उठा रही तूफ़ान निराला
सजा रहीअनगिनत अनमोल
विस्मरणीय पलों की माला
आज उनींदी पलकों पर
मौन मिलन की बातें सुनकर
मधुर स्मृतिया शरमायंगी
वो पल ,वो अनुभव वो स्पंदन
तेरी छवि का सम्मोहन
यह डूबी डूबी सी सांसे
जीवन प्यास बढायेंगी
तुम मेरे अधरों की प्यास
तुम मेरे नयनों का विश्वास
तुम मेरी अभिलाषाओं का आकाश
प्रिय सूनी है मेरे लिये
बिन तेरे हर रात
बिन तेरे हर रात
डॉ प्रियदर्शिनी अग्निहोत्री
Tuesday, June 02, 2020
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