सूर्य ना थका कभी
रश्मियां बाँटने में
पुष्प ना रूका कभी
सुगंध बिखेरने में
धूल चांद पर लाख फेंको
यश चांद का कम होता नही
लाख पाप तारने पर भी
गंगा ना मैली हुई कभी
टूटा करते धनुष यहाँ
टूटता नहीं विश्वास
किन्तु
अहिल्या पत्थर बनती यहाँ
राम सदा ही हारे है........
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