Thursday, June 04, 2020

आज जाने की जिद ना करो...........

आज जाने की जिद ना करो...........

शाम सुनहरी समुन्दर किनारे 
चमकती रेत और मेरा अकेलापन 
पलकों पर जगमगाते ओस से आँसू 
प्रतीक्षा मे  पथराते  नयनों  से
यादों को तुम्हारी न्यौता है 
अबोले प्रणय निवेदन से 
आज हृदय के बंदनवार सजाए  हैं 
तुम  मुझे   भूलों   प्रतिक्षण किन्तु 
यादों के घट भरूँगा मैं प्रतिपल 
तुम्हारी मुस्कान के अमृत से 
हृदय को नित सींचा करूंगा 
तुम्हारी यादों के मन में 
नये कमल खिलाऊंगा 
जीवन के स्मृति पथ पर 
तुम्हारी पायल की झंकार का 
नित  शगुन मनाँऊगा 
कसक पर इतनी है कि 
तुम्हारे साथ चल कर भी 
तुम्हारा साथ ना पाऊँगा 
तुम्हारे चिर यौवन का सम्मोहन 
कि तृप्ति का वरदान पाकर भी 
प्यासा किनारों पर खड़ा हूँ 
प्रतीक्षा है मुझे अभी भी
कि प्रतीक्षा से स्तब्ध 
है मेरा धीरज भी।।

डॉ प्रियदर्शिनी अग्निहोत्री

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