Saturday, June 06, 2020

गीत मेरे गुमसुम हैं.........शब्द चुप है



यह तन मन का अर्ध्यदान है
जीवित शव का कहाॅ मान है
यौवन सपनों में ढलता है
वर्तमान के तममय पथ पर
किन्तु भविष्य स्वयं चलता है।।

डॉ प्रियदर्शिनी अग्निहोत्री

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