यह तन मन का अर्ध्यदान हैजीवित शव का कहाॅ मान हैयौवन सपनों में ढलता हैवर्तमान के तममय पथ परकिन्तु भविष्य स्वयं चलता है।।डॉ प्रियदर्शिनी अग्निहोत्री
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