Thursday, June 04, 2020

सत्य मार्ग

माना जीवन के समन्दर में 
संर्घषो का पार नही
किन्तु डूबना भी मझधारो में 
साहस को मेरे स्वीकार नही
उत्साह सिन्धु की लहरे क्षण क्षण 
चाह रहीं हैं गगन चूमना 
शेष रहता है सफलताओ पर झूमना 
जीवन के प्रखर ज्वार में अब है बहना 
करना ही है तिमिर पार
लिए  सत्य मार्ग पर स्थिर विचार 
देखना है मौन नयनो से
सत्य का युवा नया प्रकाश द्वार ।।

No comments:

Post a Comment