Thursday, June 04, 2020

असीम विस्तार

चाहती हूँ एक नया ही संसार
जहाँ न कोई हो सपनों का पहरेदार
चाहती हूँ अपने नभ का असीम विस्तार
जिसमें बसता हो मेरे विश्वास का संसार
जीवन के स्मृति पटल पर
मैं गुंथु चटख रंगों की माला
जग भले स्याह अमावस सा रहे
पर मै पूनम का चांद का बनू

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